नन्ही गौरैया

क्या मुझे गौरैया से प्रेम है ?कई सालों से मेरी घर की छत पर,    कोई गौरैया पानी पीने नहीं आई ।मैंने अपनी घर की मुंडेरों पर गौरैया को, गीत गाते हुए देख अपना सारा बचपन बिताया है।   हां !गौरैया को याद करते ही,मेरे अंतरमन में उठती है एक वेदना सी ।मेरे हृदय के आलिंद निलय … Read more

कुछ तो पूर्ण हुआ

हां, तो लिखा है! किसी ने पूछा, ये जो लिखती हो भावों को अपने, या किसी किताब को पढ़ती हो? शब्दों को खुद बुनती हो, या ढूंढ लेती हो किसी शब्दसागर से? तो मैं कहूं… जब देखूं मै घनघोर निशा में, उस शशि की कौमुदी को, तो मेरे हृदय में, मेघ बन भाव उमड़ आते … Read more