
क्या मुझे गौरैया से प्रेम है ?
कई सालों से मेरी घर की छत पर,
कोई गौरैया पानी पीने नहीं आई ।
मैंने अपनी घर की मुंडेरों पर गौरैया को,
गीत गाते हुए देख अपना सारा बचपन बिताया है।
हां !
गौरैया को याद करते ही,
मेरे अंतरमन में उठती है एक वेदना सी ।
मेरे हृदय के आलिंद निलय में गौरैया के लिए,
एक छोटा सा ही सही ,
मगर !
मुट्ठी भर आकाश है ।
जहां मेरी प्रार्थनाओं में वो गौरैया है ।
जहां वो उड़ सकेगी अपने पंखों को छनका कर।
जहां वो कर पाएगी,
अपनी अनन्त व्योम की यात्रा को पूर्ण ।
बिना किसी डर और रुकावट के ।
हां ! मुझे उस गौरैया से बहुत प्रेम है ।